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ज्योतिषाचार्य परिचय – अविरल बंशीवाल

(एक साधक, एक मार्गदर्शक, एक चेतना के वाहक)

Aviral Banshiwal उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद स्थित सिकंदराराव क्षेत्र के निवासी हैं। समाजशास्त्र में औपचारिक शिक्षा उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पूर्ण की, किंतु उनका वास्तविक परिचय उनकी उस आंतरिक साधना से है, जिसने उन्हें ज्योतिष के गूढ़ ज्ञान में दीक्षित किया।

हालाँकि उन्होंने ज्योतिष में कोई पारंपरिक डिग्री नहीं ली, परंतु वर्ष 2010 से अब तक निरंतर गहन अध्ययन, ध्यान, और जीवन के अनुभवों के माध्यम से वे इस विद्या में पारंगत हुए हैं। वे स्वयं को ‘ज्योतिष का विद्यार्थी’ मानते हैं—एक ऐसा जिज्ञासु साधक जो हर कुंडली में छिपे जीवन के रहस्यों को जानने, समझने और उन पर समाधान देने में विश्वास रखता है।

जीवन यात्रा

वर्ष 2017 से उन्होंने निजी परामर्श की यात्रा आरम्भ की, और मार्च 2023 से Astrotalk, वर्ष 2024 से Panditji, Jothitalk और Jathakam जैसे प्रतिष्ठित डिजिटल मंचों पर सक्रिय रहते हुए अब तक 20,000 से अधिक व्यक्तियों को मार्गदर्शन प्रदान कर चुके हैं। उनके लिए परामर्श देना केवल उत्तर देना नहीं, बल्कि आत्मा के स्तर पर संवाद करना है—जहाँ समस्या नहीं, समाधान बोलता है।

वे मानते हैं—

“हर आत्मा के भीतर समाधान का प्रकाश पहले से विद्यमान होता है, आवश्यकता केवल सही मार्गदर्शन और जागरण की होती है।”
इसी विचार से प्रेरित होकर उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करने, उन्हें शब्दों में ढालने और जीवन में दिशा देने का संकल्प लिया है।

अविरल बंशीवाल जी की रुचि केवल फलादेश तक सीमित नहीं, बल्कि लोगों को उनके ‘भीतर के सत्य’ से जोड़ने में है। वे ज्योतिष को केवल भविष्यवाणी का साधन नहीं, बल्कि आत्म-ज्ञान और जागरूकता का मार्ग मानते हैं। उनके लेखन, संवाद व परामर्श का उद्देश्य होता है—जीवन की अंधेरी सुरंगों में आशा का दीप जलाना।

वे कहते हैं—

“ज्योतिष केवल ग्रहों की गणना नहीं, यह उस चेतना का विज्ञान है जो मानव को स्वयं के निकट लाने का माध्यम बनती है।”

भास्कराचार्य जैसे महान गणितज्ञ और ज्योतिर्विद ने “सिद्धांतशिरोमणि” में लिखा है कि –
“ज्योतिष वेदों को समझने का सरलतम एवं दोषरहित मार्ग है; इसके बिना वेदों के कर्म निष्प्रभावी हो जाते हैं।”

भारत की तपःपरंपरा में अनेक ऋषियों-मुनियों ने लोककल्याण हेतु जिन शास्त्रों का निर्माण किया, उनमें ज्योतिष सर्वोपरि है—क्योंकि यह काल को जानकर कर्म का सटीक निर्धारण करता है।

आज वे न केवल कुंडली विश्लेषण, रत्न चयन, मंत्र विधान, रुद्राक्ष प्रयोग, कुंडली मिलान, अंकशास्त्र, वास्तुशास्त्र आदि जैसे विषयों में दक्ष हैं, बल्कि लोगों को जीवन की उस दिशा की ओर ले जा रहे हैं जहाँ समस्याएँ नहीं, समाधान बोलते हैं तथा व्यक्ति को स्वयं की स्वयं से यथार्थ पहचान होती है और अंततः घर वापसी का मार्ग प्रशस्त होता है।

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